
धामी कैबिनेट की बैठक समाप्त, इन मुद्दों पर लगी मोहर
देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज राज्य सचिवालय में हुई उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी।
शिक्षा विभाग के एक मुद्दे पर कैबिनेट ने लगाई अपनी मुहर। मुस्लिम समाज सहित अब सिख, इसाई, जैन, पारसी को भी अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड में जोड़ा जाएगा। अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड की नियमावली में किया गया संशोधन। CC के रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ाने को लेकर भी फैसला लिया गया है।
कई विधेयक को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है जो विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर रखे जाने हैं।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ –
1 – प्राधिकरण का गठन राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्रदान करेगा।
2 – अनिवार्य मान्यता मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन या पारसी समुदाय द्वारा स्थापित किसी भी शैक्षिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा पाने हेतु प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
3 – संस्थागत अधिकारों की सुरक्षा अधिनियम अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता बनी रहे।
4 – अनिवार्य शर्तें – मान्यता प्राप्त करने हेतु शैक्षिक संस्थान का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण होना आवश्यक है। भूमि, बैंक खाते एवं अन्य संपत्तियाँ संस्थान के नाम पर होनी चाहिए। वित्तीय गड़बड़ी, पारदर्शिता की कमी या धार्मिक एवं सामाजिक सद्भावना के विरुद्ध गतिविधियों की स्थिति में मान्यता वापस ली जा सकती है।
5 – निगरानी एवं परीक्षा प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि
शिक्षा उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार दी जाए और विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो।
अधिनियम का प्रभाव –
राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को अब पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से मान्यता मिलेगी।
शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।
राज्य सरकार के पास संस्थानों के संचालन की निगरानी करने और समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी करने की शक्ति होगी।