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Indresh Hospital :श्रीमहंत इन्दिरेश अस्पताल के डॉक्टर्स ने निकाला महिला की गर्दन से 1 किलो का ट्यूमर

Doctors of Indira Hospital became God.

Indresh Hospital :  श्रीमहंत इन्दिरेश अस्पताल के डॉक्टर्स ने निकाला महिला की गर्दन से 1 किलो का ट्यूमर :-  अगर आपको भगवान् से मिलना है तो डॉक्टर्स को देख लीजिये क्योंकि एक भगवन ज़िंदगी देते हैं तो धरती के भगवान ये डॉक्टर्स जिंदगी बचाकर नया जीवन देते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं तो आइये श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के नाक कान गला रोग विभाग में जहां के डाॅक्टरों ने बेमिसाल काम करते हुए एक जान बचाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

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डाॅक्टरों ने एक महिला मरीज़ की टोटल थायरॉयडेक्टॉमी का सफल ऑपरेशनतक कामयाब किया जब मरीज़ की गर्दन में 1 किलोग्राम वजन का थायरॉयड ट्यूमर था जिसको हटाया गया। यह ट्यूमर आकार में बहुत बड़ा है। ट्यूमर में खास बात जानने वाली यह है कि गर्दन जैसी छोटी जगह में सामान्य थायरॉयड का वजन लगभग 25 ग्राम ही होता है।

इन्दिरेश अस्पताल के डाॅक्टर बने भगवान

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ त्रिप्ती ममगाईं एवम् उनकी टीम की बधाई एवम् शुभकामनाएं दीं। रोगी श्रीमती शबनम (निवासी रामनगर, नैनीताल) पिछले छह वर्षों से गंभीर रूप से बढ़े हुए थायरॉयड सूजन, हाइपरथायरॉयडिज्म, तथा बाएँ ट्रू वोकल कॉर्ड पाल्सी से पीड़ित थीं।

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अत्यधिक बढ़ चुके ट्यूमर ने भोजन और श्वास नलिकाओं पर दबाव बनाकर स्थिति को गंभीर बना दिया था। इतना ही नहीं, सूजन के कारण बाएँ रिकरेंट लैरिंजल नर्व पर दबाव पड़ने से वोकल कॉर्ड लकवा भी हो गया था।

इस जटिल सर्जरी का नेतृत्व ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिप्ती एम. ममगाईं ने किया। उनकी टीम में डॉ. शरद हर्नौत, डॉ. ऋषभ डोगरा, डॉ. फातिमा अंजुम, डॉ. सौरभ नौटियाल तथा एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. पुनीत शामिल थे। चार घंटे चली इस चुनौतीपूर्ण टोटल थायरॉयडेक्टॉमी में सर्जरी और एनेस्थीसियाकृदोनों स्तरों पर जोखिम अत्यंत उच्च था, क्योंकि मरीज हाइपरथायरॉयडिज्म से भी ग्रस्त थीं।

टयूमर की वजह से बाॅए टू वोकल काॅर्ड में लकवा आ गया था

डॉ. त्रिप्ती ममगाईं ने बताया कि उन्होंने एक संशोधित चीरा तकनीक का उपयोग किया, जिसने महत्त्वपूर्ण संरचनाओं विशेषकर रिकरेंट लैरिंजल नर्व और पैराथायरॉयड ग्रंथियों को सुरक्षित रखते हुए विशाल आकार की ग्रंथि को हटाना संभव बनाया। इस प्रक्रिया में छाती खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जो इस उपलब्धि को और भी उल्लेखनीय बनाता है।

उन्होंने कहा कि यदि यह ट्यूमर समय रहते नहीं हटाया जाता, तो यह जीवन-घातक जटिलताओं को जन्म दे सकता था। सर्जरी के बाद मरीज ने कहा कि कई अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों ने इस जटिल स्थिति को देखते हुए सर्जरी से मना कर दिया था, परंतु श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की ईएनटी टीम ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि अत्यंत उत्कृष्ट परिणाम भी दिया। रोगी अब स्वस्थ हैं और अपने आप को “दूसरा जीवन मिलने” जैसा अनुभव कर रही हैं।

Leena Kumari

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