डेंगू के बढ़ते मामलों पर चिंताजनक रिपोर्ट, स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां
Recently, a dengue patient died in Rishikesh
ऋषिकेश में हाल ही में डेंगू के एक मरीज की मौत ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फिर से सचेत कर दिया है। इस मरीज को पहले से कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के कारण, स्वास्थ्य विभाग ने उसकी मौत के कारणों की वास्तविकता जानने के लिए डेथ ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि डेंगू संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस वर्ष, प्रदेश के पांच जिलों में कुल 75 डेंगू के मामले सामने आए हैं, जिनमें से पौड़ी जिले में सबसे अधिक 59 मरीज पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को डेंगू की रोकथाम एवं बचाव के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्य महानिदेशालय स्तर पर डेंगू मामलों की सतत निगरानी की जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आगामी नवंबर और दिसंबर में डेंगू संक्रमण के फैलने की आशंका बनी रहेगी। इस समय के दौरान, मच्छरों की संख्या में वृद्धि होती है, जो डेंगू के वायरस के फैलने का मुख्य कारण बनते हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सभी सीएमओ को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि डेंगू के प्रकोप को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। डेंगू के आम लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते और उल्टी शामिल हैं।
यदि इन लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। डेंगू का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन सही देखभाल से रोगी को ठीक किया जा सकता है। चिकित्सकों की सलाह के अनुसार, आराम करना, तरल पदार्थों का सेवन करना और बुखार को नियंत्रित करने के लिए पेरासिटामोल लेना महत्वपूर्ण है डेंगू से बचाव के लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी है। लोगों को अपने घरों के आसपास मच्छरों के breeding स्थानों को खत्म करने, जैसे कि पानी जमा होने वाली जगहों को साफ करने और मच्छरदानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने कई अभियान चलाए हैं, जिसमें स्कूलों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।