योगी पैंट क्यों नहीं पहनते? धोती में ऐसा क्या है जो पैंट या जींस में नहीं? जानिए आध्यात्मिक महत्व!
Let us know why the yogi or seeker always chose dhoti?

योगी पैंट क्यों नहीं पहनते? धोती में ऐसा क्या है जो पैंट या जींस में नहीं? जानिए आध्यात्मिक महत्व! :- सनातन संस्कृति में हमेशा से ही धोती-कुर्ते का चलन रहा है. योगी हमेशा से ही प्राचीन परंपराओं का पालन करते आ रहे हैं. उन्होंने कभी भी धोती की जगह पैंट या जींस को धारण नहीं किया. दरअसल इसके पीछे मात्र सांस्कृतिक ही नहीं अपितु आध्यात्मिक कारण भी महत्वपूर्ण है।
आइए जानते हैं आखिर योगी या साधक ने हमेशा से ही धोती को क्यों चुना?
सनातन धर्म में वस्त्रों को मात्र तन ढकने का ही साधन नहीं माना जाता है, बल्कि ये उनके अनुशासन और स्वभाव को भी दर्शाता है. धोती शरीर को ढकने के साथ ही ऊर्जा का प्रवाह भी निरंतर बनाए रखती है. जबकि पैंट या टाइट कपड़े शरीर की ऊर्जा को बाधित करते हैं।
धोती आंतरिक स्वतंत्रता का प्रतीक
ऐसे में धोती मात्र वस्त्र ही नहीं अपितु आंतरिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है. पहनावे से ढीला, हल्का, आध्यात्मिक और शरीर को जकड़े रखने की बजाए शांत और सौम्यता को दर्शाता है।
सनातन धर्म में कहा जाता है कि, ‘आप जो पहनते हैं, उसका प्रभाव आपकी ऊर्जा पर साफ दिखाई देता है.’
प्राण प्रवाह की स्वतंत्रता
धोती शरीर को ढीला और निर्बाध (बाधा रहित) रखती है. जबकि टाइट पैंट कूल्हों, जांघों और मूलाधार चक्र के आसपास प्राण प्रवाह को बाधित करती है।
पृथ्वी से प्राकृतिक जुड़ाव
धोती पहनने से पैर खुले रहते हैं और शरीर के निचले हिस्से को हवादार रखती है, जिससे योग साधना में साधक परम ज्ञान को प्राप्त करता है।
अतिसूक्ष्मवाद और वैराग्य का प्रतीक धोती
धोती सादगी, सांसारिक फैशन और पहचान से वैराग्य की ओर ले जाती है. ये योगी को हमेशा भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग करने की प्रेरणा देती है।
ध्यान के लिए शीतलता धोती
सूती की धोती शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखती है. ये साधक को गहन तपस्या और ध्यान के दौरान गर्मी से भी बचाती है।
वैदिक धर्म के अनुरूप
हिंदू धर्म में धोती को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही साधक को ये सलाह भी दी जाती है कि वे बिना सिलाई के कपड़े धारण करें. माना जाता है कि सिलाई वाले कपड़े ऊर्जा क्षेत्र के बीच रुकावट का कारण बनते हैं।
इसीलिए योगी और साधक हमेशा से ही धोती पहनते आ रहे हैं. धोती उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा और शुद्धता प्रदान करती है. तमाम तरह के धार्मिक अनुष्ठानों में भी धोती ही पहनने की सलाह दी जाती है।