Divakar Bhatt : उत्तराखंड ने खो दिया दिग्गज आंदोलनकारी दिवाकर भट्ट
Diwakar Bhatt was one of the founding members of Uttarakhand Kranti Dal. He was born in the year 1946.
Divakar Bhatt : उत्तराखंड ने खो दिया दिग्गज आंदोलनकारी दिवाकर भट्ट :- उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता दिवाकर भट्ट का निधन मंगलवार को हो गया. वे पिछले कुछ दिनों से देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में भर्ती थे। राज्य निर्माण के अगुवा रहे दिवाकर भट्ट की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून ले जाया गया था, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ और उन्होंने अंतिम सांस ली।
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दिवाकर भट्ट उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापक सदस्यों में से एक थे उनका जन्म साल 1946 में हुआ था. वे युवावस्था से ही उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय रहे.उत्तराखंड राज्य की मांग को पहली बार दिल्ली तक ले जाने का कार्य 1968 में ऋषिबल्लभ सुंदरियाल के नेतृत्व में हुआ. उस ऐतिहासिक रैली में युवा दिवाकर भट्ट ने भी भाग लिया. 1972 में सांसद त्रेपन सिंह नेगी के नेतृत्व में हुई रैली में भी वे शामिल रहे. 1977 में वे ‘उत्तराखंड युवा मोर्चा’ के अध्यक्ष बने और 1978 की ऐतिहासिक बद्रीनाथ–दिल्ली पदयात्रा में अग्रणी रहे. इस पदयात्रा के बाद आंदोलनकारियों की तिहाड़ जेल में गिरफ्तारी भी हुई।
आईटीआई की पढ़ाई के बाद दिवाकर भट्ट ने हरिद्वार स्थित बीएचईएल में कर्मचारी नेता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई. वर्ष 1970 में ‘तरुण हिमालय’ संस्था के माध्यम से उन्होंने सांस्कृतिक चेतना जगाने और शिक्षा प्रसार के लिए काम किया. इसी दौरान उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय आंदोलन (1971) और पंतनगर विश्वविद्यालय कांड के खिलाफ (1978) सक्रिय भागीदारी निभाई.वर्ष 1979 में दिवाकर भट्ट ‘उत्तराखंड क्रांति दल’ के संस्थापकों में से एक बने और उन्हें संस्थापक उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. उक्रांद की स्थापना से पहले ही वे राज्य आंदोलन के केंद्र में थे. 1980 और 90 के दशक में कुमाऊं-गढ़वाल मंडल घेराव, उत्तराखंड बंद, दिल्ली की 1987 की ऐतिहासिक रैली, वन अधिनियम के खिलाफ 1988 का आंदोलन, इन सभी में उनकी निर्णायक भूमिका रही।
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1994 के उत्तराखंड राज्य आंदोलन में दिवाकर भट्ट सबसे प्रमुख चेहरों में शामिल रहे. जब आंदोलन कमजोर पड़ा, तब उन्होंने नवंबर 1995 में श्रीयंत्र टापू और दिसंबर 1995 में खैट पर्वत पर आमरण अनशन किया.राजनीति में भी मजबूत पकड़: आंदोलन के साथ-साथ राजनीति में भी दिवाकर भट्ट समान रूप से सक्रिय रहे.1982 से 1996 तक वे तीन बार कीर्तिनगर के ब्लॉक प्रमुख रहे. साल 2002 में दिवाकर भट्ट ने यूकेडी की टिकट से देवप्रयाग विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. 2007 में वे विधायक और मंत्री बने. इस दौरान उन्होंने शहरी विकास जैसे अहम विभाग संभाले थे। उनकी खराब तबियत का हाल जानने बीते दिन खुद मुख्यमंत्री भी अस्पताल पहुंचे थे।



