अब दुनिया देखेगी भारत की प्राकृतिक सुंदरता!
According to UNESCO's procedure, before any site can be included in the World Heritage List, it must be in the Tentative List.

अब दुनिया देखेगी भारत की प्राकृतिक सुंदरता! :- भारत में प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खूबसूरती हर तरफ है. देश में कई पर्यटन स्थल हैं. अब इन पर्यटन स्थल को वैश्विक पहचान मिलेगी और टूरिज्म में भी बढ़त होगी।
यूनेस्को ने हाल ही में देश के 7 अद्भुत प्राकृतिक स्थलों को अपनी ‘टेंटेटिव लिस्ट ऑफ वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स’ में शामिल किया है. भारत के लिए यह गर्व करने का मौका है. क्योंकि इसी के बाद अब टेंटेटिव लिस्ट ऑफ वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में भारत के 62 से 69 स्थल शामिल हो गए हैं।
दरअसल, यूनेस्को की प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी स्थल को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने से पहले इसे टेंटेटिव लिस्ट (संभावित लिस्ट) में होना जरूरी है. इसी के बाद वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया जाता है।
इसलिए टेंटेटिव लिस्ट में शामिल होना पहला और अहम कदम माना जाता है. अब भारत के 69 प्लेस टेंटेटिव लिस्ट का हिस्सा हैं, जिनमें 49 सांस्कृतिक स्थल हैं, 17 प्राकृतिक धरोहर स्थल और बाकी 3 मिश्रित श्रेणी में आते हैं. चलिए इन 7 स्थलों के बारे में जानते हैं।
पीरियड्स के दौरान इन बातों का रखे ध्यान
पंचगनी और महाबलेश्वर के डेक्कन ट्रैप्स (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर में बने डेक्कन ट्रैप्स बहुत पुराने ज्वालामुखी से निकले लावा से बने हैं. लगभग 6.5 करोड़ साल पहले यहां बड़े-बड़े ज्वालामुखी फटे थे. उस समय निकला लावा जमकर परतों वाली चट्टान में बदल गया. अब यह स्थल यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा हैं. यह सबसे बड़ी ज्वालामुखी संरचनाओं में से एक है. ये जगहें कोयना वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के अंदर आती हैं, जो पहले से ही यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में है।
सेंट मेरीज़ आइलैंड क्लस्टर, कर्नाटक
कर्नाटक के तट पर मौजूद यह द्वीप समूह अपनी अनोखी कॉलम्नर बेसाल्टिक चट्टानों के लिए मशहूर है. ये चट्टानें लगभग 8.5 करोड़ साल पुरानी हैं. माना जाता है कि ये तब बनी थीं जब मेडागास्कर भारत से अलग हो रहा था. यहां की विरासत टूरिस्ट को पृथ्वी के इतिहास की एक अद्भुत झलक दिखाती है।
मेघालय की गुफाएं
मेघालय की अद्भुत गुफाएं, खासकर माव्मलूह गुफा, पूरी दुनिया में मशहूर हैं. यह गुफा मेघालयन युग (होलोसीन काल का हिस्सा) की पहचान के लिए वैश्विक मानक मानी जाती है।
नागा हिल ओफियोलाइट, नागालैंड
नागालैंड में स्थित ये पहाड़ ओफियोलाइट चट्टानों के लिए मशहूर हैं. ये पहाड़ तब बने थे जब महासागरीय क्रस्ट महाद्वीपीय प्लेटों पर उठ गया था. ये दरअसल समुद्र की सतह के नीचे बनी चट्टानें हैं, जो बाद में जमीन की सतह पर ऊपर उठ आईं. इनसे हमें धरती की प्लेटों की हलचल (tectonic processes) और समुद्र के बीच बनने वाली पर्वतमालाओं (mid-ocean ridge) को समझने में बहुत मदद मिलती है।
एरा माट्टी डिब्बालु (लाल बालू की टीले), आंध्र प्रदेश
विशाखापट्टनम के पास पाई जाने वाली ये खूबसूरत लाल बालू की संरचनाएं बहुत खास हैं. ये पुराने समय के जलवायु बदलाव और तटीय भू-आकृति (समुद्र किनारे की बनावट) के बारे में बताती हैं. इनसे धरती के जलवायु इतिहास और उसके बदलते स्वरूप को समझा जा सकता है. यह फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक बेहतरीन जगह है।
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तिरुमाला हिल्स, आंध्र प्रदेश
यह स्थल बहुत अहम है क्योंकि यहां एपार्चियन अनकॉनफॉर्मिटी और फेमस सिलाथोरनम (प्राकृतिक मेहराब) मौजूद हैं. यह जगह धरती के 1.5 अरब साल पुराने इतिहास को सामने रखती है और भूविज्ञान के लिए बेहद खास मानी जाती है।
वर्कला क्लिफ्स, केरल
केरल के समुद्र तट पर बने ये सुंदर चट्टानी किनारे बहुत खास हैं. यहां वारकली संरचना (मियो-प्लायोसीन काल की) दिखाई देती है. साथ ही यहां प्राकृतिक झरने और समुद्र की लहरों से बनी अनोखी आकृतियां मिलती हैं. यह जगह वैज्ञानिकों के लिए भी अहम है और टूरिस्ट के लिए भी आकर्षक है।