हरिद्वार पर कार्रवाई देहरादून पर चुप्पी कांग्रेस ने उठाए सवाल
The politics of Uttarakhand has once again heated up.

हरिद्वार पर कार्रवाई, देहरादून पर चुप्पी कांग्रेस ने उठाए सवाल : उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हरिद्वार नगर निगम में जमीन खरीद के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए चार अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि जब हरिद्वार में कार्रवाई हो सकती है, तो देहरादून में हुए कथित स्मार्ट सिटी घोटाले पर अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिया था कि नगर निगम द्वारा बाजार दर से अधिक मूल्य पर खरीदी गई जमीन की जांच की जाए। जांच में चार अधिकारियों की संलिप्तता सामने आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा बताया गया। हालांकि, कांग्रेस इस कार्रवाई को एकतरफा और राजनीति से प्रेरित बता रही है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि “हरिद्वार में तो सरकार ने कार्रवाई कर दी, लेकिन देहरादून में पांच सालों से चले आ रहे स्मार्ट सिटी घोटाले पर अब तक चुप्पी क्यों है?” उन्होंने कहा कि देहरादून के इतिहास में इससे बड़ा कोई घोटाला नहीं हुआ है। “स्मार्ट सिटी योजना का घोटाला सभी घोटालों का सरताज है,” उन्होंने आरोप लगाया।
धस्माना ने आरोप लगाया कि देहरादून नगर निगम ने पिछली तीन विकास योजनाओं में शहर की दशा बिगाड़ दी। “सड़कों की खुदाई, अधूरी योजनाएं, खराब गुणवत्ता वाला निर्माण कार्य और फिजूल खर्च – इन सबने देहरादून को स्मार्ट सिटी नहीं, बल्कि एक अव्यवस्थित शहर बना दिया,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून नगर निगम पूरी तरह से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा रहा है। “जो नए मेयर आए हैं, वो क्या सुधार लाएंगे, ये तो अगले पांच साल में ही पता चलेगा, लेकिन पिछले कार्यकाल में जो हुआ, वो पूरी तरह से जनता के साथ धोखा था।”
कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि अगर उत्तराखंड सरकार सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है, तो देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना में हुए हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की निष्पक्ष जांच क्यों नहीं कराई जा रही? उन्होंने यह भी कहा कि “केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि अगर पूरे भारत में सबसे भ्रष्ट नगर निगम की खोज की जाए, तो देहरादून नगर निगम सबसे ऊपर मिलेगा।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब जनता स्मार्ट सिटी योजना के ठोस परिणामों का इंतजार कर रही है। देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। लेकिन न तो ट्रैफिक व्यवस्था सुधरी है, न ही जल प्रबंधन में कोई विशेष सुधार दिखा है। कई क्षेत्रों में तो अभी भी सड़कें अधूरी हैं और निर्माण कार्य के कारण आम जनता को रोजाना परेशानी झेलनी पड़ती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस द्वारा उठाए गए ये सवाल आगामी चुनावों को देखते हुए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। एक ओर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी नीतियों को लेकर गंभीर दिखना चाहती है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे एक अवसर के रूप में देख रहा है ताकि जनता के बीच सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा सकें। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार देहरादून नगर निगम की भी गहन जांच कराएगी या कांग्रेस के इन आरोपों को नजरअंदाज किया जाएगा। फिलहाल तो यह स्पष्ट है कि स्मार्ट सिटी का सपना अभी अधूरा है और राजनीति की गलियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा गर्माया हुआ है।