मसूरी जाने का नया तरीका, दून-मसूरी रोपवे का सफर अब महज 15 मिनट में!
Another important milestone has been crossed in the Mussoorie ropeway project.

मसूरी जाने का नया तरीका, दून-मसूरी रोपवे का सफर अब महज 15 मिनट में : दून-मसूरी रोपवे परियोजना में एक और अहम मील का पत्थर पार हो चुका है। मसूरी के गांधी चौक में स्थित अपर टर्मिनल पर स्टील बाइंडिंग का कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना के तहत कुल 26 टावर बनाए जाएंगे, जिनमें से अब तक करीब 20 टावरों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इस रोपवे के निर्माण से न केवल पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि मसूरी में बढ़ते ट्रैफिक दबाव और जाम की समस्या को भी हल किया जा सकेगा।
गांधी चौक से रोपवे तक पहुंचने का मार्ग निर्माण
गांधी चौक से रोपवे तक पहुंचने के लिए मार्ग निर्माण का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है। इसके अलावा, पुरुकुल में लोअर टर्मिनल स्टेशन के निर्माण के तीन टावर भी बनाए जा रहे हैं। तीन मंजिलों वाली पार्किंग की संरचना भी पूरी हो चुकी है, और चौथे मंजिल का निर्माण जल्द शुरू होगा।
रोपवे की रफ्तार और क्षमता
दून-मसूरी रोपवे की अधिकतम रफ्तार छह मीटर प्रति सेकेंड होगी। इस रोपवे के माध्यम से, पर्यटक 15 मिनट में मसूरी पहुंच सकेंगे। यह सफर न केवल तेजी से होगा, बल्कि बेहद रोमांचक भी होगा, क्योंकि यह पहाड़ी इलाकों के बीच से होकर गुजरेगा। रोपवे की क्षमता भी बहुत अधिक है—एक बार में यह 1300 पर्यटकों को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जा सकता है। आमतौर पर, देहरादून से मसूरी जाने में निजी वाहन से लगभग 1.5 घंटे का समय लगता है, लेकिन रोपवे के जरिए यह सफर मात्र 15 मिनट में पूरा होगा।
पर्यटकों के लिए राहत और सुविधाएं
मसूरी में विशेषकर पर्यटन सीजन (मई से जुलाई) के दौरान पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जाती है। इस दौरान रोजाना करीब 25,000 से ज्यादा पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं, जिस कारण जाम और ट्रैफिक की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा, बारिश के मौसम में भूस्खलन के कारण मसूरी मार्ग कई बार बंद हो जाता है। दून-मसूरी रोपवे परियोजना इन सभी समस्याओं का समाधान पेश करने वाली है। यह पर्यटकों को एक तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प प्रदान करेगा।
रोपवे परियोजना का महत्व
यह रोपवे परियोजना उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा मसूरी में पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं और यातायात विकल्प देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। 2024 में इस परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के तहत मसूरी स्काईवार कंपनी के माध्यम से इसका निर्माण कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।