लोन लेने वालों को राहत, EMI होगी और सस्ती
There is news of relief for the common people of the country. The Reserve Bank of India (RBI) has once again cut the repo rate.

लोन लेने वालों को राहत, EMI होगी और सस्ती : देश की आम जनता के लिए राहत की खबर आई है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में कटौती कर दी है, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की मासिक किस्त यानी EMI और सस्ती हो सकती है. नई दरों के मुताबिक अब रेपो रेट घटकर 5.5% रह गया है।
तीसरी बार कम हुआ रेपो रेट
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हालिया बैठक में 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) की कटौती का फैसला लिया गया. यह लगातार तीसरा मौका है जब रेपो रेट में कमी की गई है. इससे पहले फरवरी और अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी. रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI देश के बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है. इसमें कटौती होने पर बैंक भी आम लोगों को कम ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं, जिससे EMI पर बोझ घटता है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी जानकारी
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि यह फैसला अर्थव्यवस्था को गति देने और उपभोक्ताओं को खर्च के लिए अधिक पैसे उपलब्ध कराने की दिशा में उठाया गया है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति काबू में है और GDP ग्रोथ दर सुस्त हो रही है, ऐसे में मौद्रिक नीति को लचीला बनाना जरूरी था. भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में घटकर 6.5% रही है, जबकि 2023 में यह 9.2% थी।
मॉनसून और तेल की कीमतों से मिली हरी झंडी
रेट कटौती के पीछे एक और बड़ा कारण है मौसम विभाग की सकारात्मक भविष्यवाणी और कच्चे तेल की गिरती कीमतें. मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि इस बार मॉनसून औसत से बेहतर रहेगा (लगभग 106%). इससे खेती-बाड़ी में उछाल, ग्रामीण मांग में इजाफा और खाद्य महंगाई पर नियंत्रण की उम्मीद है. वहीं, क्रूड ऑयल की औसत कीमतें इस साल $65-70 प्रति बैरल रहने का अनुमान है, जो जो कि बीते साल के $78.8 प्रति बैरल से काफी कम है।
आगे क्या हो सकता है?
वित्तीय संस्थान क्रिसिल का मानना है कि यदि महंगाई काबू में रही और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां अनुकूल बनी रहीं, तो आरबीआई आने वाले महीनों में ब्याज दरों में और 0.50% तक की कटौती कर सकता है।
आपके लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?
होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन की EMI घट सकती है. नई लोन लेने वालों को ब्याज दरों में राहत मिलेगी. बाजार में खपत बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी।