Rashtrapati Niketan : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया राष्ट्रपति निकेतन के नए युग का शुभारंभ
The 105 feet long foot over bridge on Rajpur Road is not only a symbol of local architecture.
Rashtrapati Niketan : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया राष्ट्रपति निकेतन के नए युग का शुभारंभ :- उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने राष्ट्रपति निकेतन (Rashtrapati Niketan) में दो नई आगंतुक- केंद्रित सुविधाओं- फुट ओवर ब्रिज और घुड़सवारी क्षेत्र- का लोकार्पण किया। इन दोनों परियोजनाओं ने राष्ट्रपति निकेतन परिसर को आधुनिक अवसंरचना, सुरक्षा और हिमालयी विरासत के अनूठे संगम के रूप में स्थापित कर दिया है।
राजपुर रोड पर बना 105 फीट लंबा पैदल पार पुल न केवल स्थानीय वास्तुकला का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रपति निकेतन (Rashtrapati Niketan) और आगामी राष्ट्रपति उद्यान (President’s Park) के बीच निर्बाध आवाजाही को भी संभव बनाता है। राज्य लोक निर्माण विभाग द्वारा ₹9 करोड़ की लागत से मात्र छह माह में तैयार की गई इस परियोजना को “हिमालयी डिज़ाइन की आधुनिक मिसाल” कहा जा रहा है। रैंप और रेलिंग सहित इसका डिज़ाइन इसे सभी आयु वर्गों के लिए सुगम और सुरक्षित बनाता है।
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इसके बाद राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति निकेतन परिसर में विकसित अत्याधुनिक घुड़सवारी क्षेत्र का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रपति अंगरक्षकों (PBG) के घोड़ों को स्वयं घास खिलाई और उनके रखरखाव की जानकारी ली।
0.7 एकड़ में फैला यह क्षेत्र सीपीडब्ल्यूडी द्वारा विकसित किया गया है, जहाँ राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के 8 चयनित घोड़े रखे जाएंगे।यहां आगंतुकों के लिए देखने के गलियारे और निर्देशित भ्रमण की विशेष व्यवस्था की गई है।यह सुविधा सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी।
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वहीं, देर शाम महामहिम राष्ट्रपति ने उत्तराखंड (Uttarakhand) संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में भी शिरकत की। कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) (Governor Lieutenant General Gurmit Singh) भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की लोकसंगीत और लोकनृत्य की प्रस्तुतियों का आनंद लिया और लोक कलाकारों से मिलकर उनकी हौसला-अफजाई की।राष्ट्रपति निकेतन में हुआ यह लोकार्पण उत्तराखंड के लिए गौरवपूर्ण क्षण रहा। जहाँ आधुनिकता ने परंपरा का हाथ थामा, और राष्ट्रपति निकेतन ने भविष्य की ओर एक और सुनहरा कदम बढ़ाया।



