
देहरादून में सीएम हेल्पलाइन-1905 पर तैनात एक कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने सीएम हेल्पलाइन की छवि को धूमिल किया है, जो सामान्यत: त्वरित न्याय के लिए जानी जाती है। आरोपी कर्मचारी पर आरोप है कि उसने एक रेस्टोरेंट के मैनेजर से वेतन न मिलने की शिकायत के समाधान के लिए 2500 रुपये की रिश्वत मांगी थी। गोपनीय जांच के बाद पुलिस ने आरोपी कर्मचारी और उसके दोस्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें हिरासत में ले लिया। यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग जनहित की सेवा करने वाली संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं। सीएम हेल्पलाइन आमतौर पर उन लोगों के लिए एक आशा की किरण होती है, जो सरकारी तंत्र से न्याय की उम्मीद करते हैं। जब कहीं से सुनवाई नहीं होती, तो पीड़ित लोग इस हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज कर समाधान की आस लगाए रहते हैं।
इस घटना ने न केवल भ्रष्टाचार के प्रति जन जागरूकता को बढ़ाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है। कई बार शिकायतकर्ता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए संवेदनशील होते हैं और ऐसे में उन पर दबाव डालकर धन ऐंठना न केवल अमानवीय है, बल्कि कानून का भी उल्लंघन है। पुलिस की जांच में आरोपी के ठगी के प्रयास की पूरी योजना का खुलासा हुआ। उसने अपने दोस्त की मदद से इस धोखाधड़ी को अंजाम देने का प्रयास किया, लेकिन गोपनीय जांच ने उसकी मंशा को नाकाम कर दिया। इस प्रकार की घटनाएं सीएम हेल्पलाइन की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए ताकि जनता का विश्वास बरकरार रहे। साथ ही, कर्मचारियों को जागरूक करने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा सकें। भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह के कड़े कदम उठाना बेहद जरूरी है। हमें उम्मीद है कि इस मामले से अन्य कर्मचारियों को एक सीख मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं घटित नहीं होंगी।