अब इतिहास बनने वाला है ‘पैनी’, जल्द ही चलन से होगा बाहर!
The journey of America's smallest value coin 'Penny' (1 cent) is now coming to an end.

अब इतिहास बनने वाला है ‘पैनी’, जल्द ही चलन से होगा बाहर : अमेरिका के सबसे छोटे मूल्य वाले सिक्के ‘पैनी’ (1 सेंट) का सफर अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने घोषणा की है कि 2026 की शुरुआत से नए पैनी सिक्कों का उत्पादन बंद कर दिया जाएगा. यह फैसला उस समय आया है जब सरकार सिक्के की अधिक निर्माण लागत और सीमित उपयोगिता के कारण इसे अनुपयोगी मानने लगी है. इस ऐतिहासिक फैसले से हर साल करीब 477 करोड़ रुपये (56 मिलियन डॉलर) की बचत होगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?मौजूदा समय में, एक पैनी सिक्का बनाने की लागत लगभग 3.7 सेंट (3.08 रुपये) आती है, जो कि उसके अंकित मूल्य 1 सेंट से लगभग चार गुना अधिक है. साल 2024 में अमेरिकी मिंट ने करीब 3.17 बिलियन पैनी सिक्के बनाए, जिस पर सरकार को 85 मिलियन डॉलर (710 करोड़ रुपये से अधिक) का खर्च आया. इस लागत और उपयोग में गिरावट को देखते हुए सरकार ने 2026 से इसका उत्पादन बंद करने का फैसला लिया है। ins
क्या होगा मौजूदा सिक्कों का?
नए पैनी सिक्के नहीं बनाए जाएंगे, लेकिन जो सिक्के अभी चलन में हैं, वे मान्य मुद्रा बने रहेंगे. सरकार ने साफ किया है कि नागरिक अपने पास मौजूद सिक्कों का उपयोग पहले की तरह कर सकेंगे. वर्तमान में, अमेरिका में करीब 114 बिलियन पैनी सिक्के प्रचलन में हैं, जो निकट भविष्य में भी इस्तेमाल किए जाते रहेंगे।
नकद लेन-देन पर असर
पैनी के उत्पादन बंद होने से नकद लेन-देन पर थोड़ा असर पड़ सकता है. लेन-देन की राशि को अब संभवतः निकटतम 5 सेंट तक गोल किया जाएगा. उदाहरण के लिए, अगर किसी वस्तु की कीमत 1.02 डॉलर है, तो उसे 1 डॉलर या 1.05 डॉलर तक गोल किया जा सकता है. कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इसी तरह की प्रणाली अपनाई जा चुकी है. हालांकि, डिजिटल पेमेंट्स पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि वहां ट्रांजेक्शन सटीक राशि में ही होता है।
सांस्कृतिक महत्व भी रहा है गहरा
पैनी सिर्फ एक छोटा सिक्का नहीं था, यह अमेरिकी इतिहास और संस्कृति का प्रतीक भी रहा है. इसे पहली बार 1793 में जारी किया गया था और 1909 से इस पर अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की तस्वीर अंकित की जा रही है. पैनी लंबे समय तक अमेरिकी जेबों और दिलों का हिस्सा रहा है, भले ही आज इसकी क्रय शक्ति ना के बराबर हो गई हो।