
चारधाम यात्रा में बढ़ती मौतें क्या ऊंचाई और मौसम बन रहे हैं काल : उत्तराखंड स्थित चारधाम यात्रा, भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक मानी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में यह यात्रा श्रद्धा के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती भी बनती जा रही है। खासतौर पर बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के लिए यह यात्रा जानलेवा साबित हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है – उच्च हिमालयी ऊंचाई, ऑक्सीजन की कमी, ठंडा मौसम और शारीरिक तनाव।
चारधाम के प्रमुख तीर्थस्थल – यमुनोत्री (3,291 मी.), गंगोत्री (3,415 मी.), केदारनाथ (3,553 मी.) और बद्रीनाथ (3,300 मी.) – सभी समुद्र तल से काफी ऊपर स्थित हैं। खासकर केदारनाथ, जो लगभग 11,700 फीट की ऊंचाई पर है, यहां ऑक्सीजन की कमी, अत्यधिक ठंड और कठिन ट्रैकिंग रूट के कारण सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं।
हाल ही में, कुछ ही दिनों में कई श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ये मौतें मुख्यतः दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप, सांस की तकलीफ और ऑक्सीजन की कमी जैसे कारणों से हुई हैं। पहाड़ों का मौसम पल भर में बदल जाता है – कभी बर्फबारी, कभी ठंडी हवाएं, तो कभी अचानक बारिश – ये सभी स्थितियां बुजुर्गों और बीमार यात्रियों के लिए बेहद जोखिम भरी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई अल्टीट्यूड में केवल वे लोग आराम से रह सकते हैं जिनका हृदय स्वास्थ्य अच्छा हो, लेकिन जिन यात्रियों को पहले से ही हृदय संबंधी या सांस की समस्या है, उनके लिए यह यात्रा घातक साबित हो सकती है।
चारधाम यात्रा की कठिनाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 4000 मीटर से अधिक की चढ़ाई, ऑक्सीजन की कम मात्रा और शरीर पर पड़ने वाला भारी दबाव इस तीर्थयात्रा को केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा शुरू करने से पहले सभी यात्रियों को पूर्ण मेडिकल चेकअप, खासकर बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वे मौसम अपडेट्स और हेल्थ अलर्ट समय-समय पर जारी करें, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रह सकें।