हेलिकॉप्टर क्रैश धुंआ, चीखें और राख में तब्दील हुई केदारनाथ की घाटी
The helicopter accident on Sunday claimed the lives of seven people
केदारनाथ की शांत घाटी एक बार फिर चीख उठी। रविवार को हुए हेलिकॉप्टर हादसे ने सात लोगों की ज़िंदगियां निगलन लीं। हादसे में मारे गए सात यात्रियों में से छह के शव बुरी तरह जल चुके थे, जिनकी पहचान कर पाना तक मुश्किल हो गया। यह हादसा इतना भयावह था कि चारों ओर सिर्फ धुंआ, राख और इंसानी चीखें ही सुनाई दे रही थीं।
इस दर्दनाक घटना के बाद शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ और पुलिस के 44 जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मोर्चा संभाला। सुबह 6:15 बजे सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीमें मौके के लिए रवाना हो गई थीं और एक घंटे के भीतर घटनास्थल पर पहुंचकर सात शवों को दुर्गम रास्तों से गौरीकुंड तक लाया गया।
इस हादसे ने कई परिवारों का सुकून छीन लिया। बिजनौर की विनोदा देवी अपनी नातिन तुष्टि सिंह के साथ बाबा केदार के दर्शन कर गुप्तकाशी लौट रही थीं, लेकिन पहली ही शटल उनकी ज़िंदगी की आखिरी उड़ान साबित हुई। 23 महीने की मासूम काशी, फैशन डिजाइनिंग की छात्रा तुष्टि, अपने बच्चों से मिलने लौट रहे विक्रम और दो महीने पहले जुड़वा बच्चों के पिता बने पायलट… इन सभी की यात्राएं एक ही जगह पर हमेशा के लिए थम गईं।
हेलिकॉप्टर हादसे ने सिर्फ सात जिंदगियों को नहीं छीना, बल्कि उन परिवारों की उम्मीदें, खुशियां और भविष्य भी राख कर दिया। केदारनाथ की पहाड़ियों में अब सिर्फ दर्द की गूंज है, और उन बहादुर जवानों की कहानी जो राख में इंसानियत ढूंढ लाए।