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कांग्रेस नेता को जिला बदर करने के खिलाफ हरीश रावत का विरोध प्रदर्शन

Congress leaders Madhav Agarwal and his father were also detained in the district.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज कांग्रेस नेता माधव अग्रवाल और उनके पिता को जिला बदर करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। रावत ने इस विरोध को एक मौन धरने के रूप में किया और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी असहमति जताई। उनका कहना था कि अब सरकार राजनीतिक विरोधियों को सार्वजनिक अभिव्यक्ति तक से वंचित कर रही है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब उत्तराखंड पुलिस ने कांग्रेस नेता माधव अग्रवाल और उनके पिता को सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में जिला बदर कर दिया। यह कार्रवाई पुलिस ने पिछले दिन की, जब उनके खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बयानबाजी और विवादित गतिविधियों का आरोप लगाया गया। माधव अग्रवाल और उनके पिता के खिलाफ यह कदम सरकार के खिलाफ राजनीतिक विरोध के रूप में देखा जा रहा है। उनके समर्थक और कांग्रेस के अन्य नेताओं का कहना है कि यह कदम सरकार की ओर से राजनीतिक दबाव डालने का एक प्रयास है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस फैसले के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रावत ने देहरादून स्थित अपने निजी आवास पर एक घंटे का मौन धरना दिया और इस घटना का विरोध किया। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि सरकार अब राजनीतिक नेताओं और नागरिकों को अपनी आवाज उठाने की स्वतंत्रता भी नहीं दे रही है, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। रावत ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार द्वारा इस तरह के कदमों से राज्य में लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि पूरे विपक्ष को चुप कराने का प्रयास है। सरकार जनता के अधिकारों पर हमला कर रही है।”

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हरीश रावत के मौन धरने में ऋषिकेश से कई कांग्रेसी नेता भी शामिल हुए। उन्होंने इस प्रदर्शन में भाग लेकर सरकार के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई और कांग्रेस पार्टी के नेताओं को जिला बदर करने की कार्रवाई को तानाशाही रवैया करार दिया। रावत ने इस धरने में कहा कि यह कदम सरकार की तानाशाही को उजागर करता है और कांग्रेसी नेताओं का दमन करने का एक तरीका है।

हरीश रावत ने कहा कि यदि सरकार किसी नेता के खिलाफ सख्त कदम उठाने का सोच रही है, तो उसे यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार ने प्रदेश में एक “डर का माहौल” पैदा कर दिया है, जहां लोग अपनी राय व्यक्त करने से डरने लगे हैं। रावत का आरोप था कि सरकार राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए ऐसे कड़े कदम उठा रही है।

 

 

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