त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी का बढ़ता क्रेज़ जहाँ स्वयं भगवान शिव ने लिए थे सात फेरे

त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी का बढ़ता क्रेज़: जहाँ स्वयं भगवान शिव ने लिए थे सात फेरे : आज के समय में लोग अपनी शादी को खास और यादगार बनाने के लिए नए-नए डेस्टिनेशन चुनते हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर तेजी से एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन वेडिंग स्पॉट बनता जा रहा है। यह वही पवित्र स्थान है जहाँ त्रेता युग में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मंदिर में आज भी वो अखंड धूनी जल रही है, जिसकी राख को शुभ माना जाता है और श्रद्धालु घर लेकर जाते हैं।
इस ऐतिहासिक मंदिर के पास चार पवित्र कुंड विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड, सरस्वती कुंड और रुद्र कुंड भी हैं। मान्यता है कि इन कुंडों में स्नान करने से विवाह और संतान संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। मंदिर के पास ही मंदाकिनी और सोनगंगा नदियों का संगम भी स्थित है, जो इसे और पवित्र बनाता है।
त्रियुगीनारायण मंदिर का संबंध केवल शिव-पार्वती विवाह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थान केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे तीर्थस्थलों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां भगवान विष्णु की भी पूजा होती है और इसे पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर का जीर्णोद्धार 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
बीते कुछ वर्षों में इस मंदिर में शादी करने वाले जोड़ों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। जहाँ पहले साल में सिर्फ 2-3 शादियाँ होती थीं, वहीं 2021 में 51, 2022 में 101, 2023 में 124 और 2024 में 152 शादियाँ हुईं। 2025 में अभी तक 82 जोड़ों ने विवाह किया है।
शादी कराने की जिम्मेदारी स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और महिलाओं के समूह द्वारा निभाई जाती है। शादी बुकिंग के लिए ₹1100 जमा करने होते हैं और शादी पूर्ण होने पर एक प्रमाण पत्र ₹1100 में दिया जाता है। जोड़े को केवल पहचान पत्र और मेहमान लाने होते हैं, बाकी सारे इंतजाम मंदिर समिति कर देती है।