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क्या आप जानते हैं आपस्तम्ब धर्मसूत्र में बलात्कार की सजा ?

According to Garuda Purana, the person who sexually assaults a woman.

क्या आप जानते हैं आपस्तम्ब धर्मसूत्र में बलात्कार की सजा ? :- प्राचीन भारत में समाज व्यवस्था केवल कानून से ही नहीं, बल्कि धर्मशास्त्रों और स्मृतियों से भी संचालित होती थी. अपराधी को दंड देने के लिए कानून के साथ-साथ धर्म का भी सहारा लिया जाता था. उस दौर में भी बलात्कार जैसे संगीन अपराध में कठोर से कठोर दंड दिया जाता था।

मनुस्मृति, गरुड़ पुराण और आपस्तम्ब धर्मसूत्र जैसे ग्रंथों में यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराध बेहद संगीन माने जाते हैं. धार्मिक ग्रंथ में इस कृत्य पर कहीं मृत्यु दंध का प्रावधान है, तो कहीं सामाजिक बहिष्कार, अंगभंग और कठोर शारीरिक यातना का भी प्रावधान था।

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इन शास्त्रों में न केवल अपराधियों को सजा दी जाती थी, बल्कि पीड़िता की गरिमा और समाज में पुनर्स्थापना पर भी विशेष बल दिया जाता था।

मनुस्मृति में बलात्कार की सजा

मनुस्मृति के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति स्त्रियों का अपहरण करता है, तो उसे राजा द्वारा मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।

“योऽननुमत्यां स्त्रियमध्यगच्छेत् स राज्ञा दण्ड्यः पूर्वसाहसेन।” (मनुस्मृति 8.352)

अर्थ- मनुस्मृति के आठवें अध्याय का 352वां श्लोक में कहा गया है कि, जो भी व्यक्ति महिलाओं के साथ दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ या व्यभिचार के लिए उकसाता है, उसे ऐसी कठोर सजा देनी चाहिए, जिससे दूसरे लोग सबक ले सकें।

मनुस्मृति श्लोक 372वां कहता है कि, बलात्कार करने वाले पुरुष अपराधी को लोहे के गर्म बिस्तर पर सुलाएं और तब तक न छोड़े जब तक कि वो मर ना जाएं।

मनुस्मृति के मुताबिक अपराध करने वाले अपराधी को जान से मार डालना चाहिए और राजा को यह दंड जल्द से जल्द देना चाहिए. यदि राजा किसी कारणवश व्यस्त हो तो समाज के किसी अधिकृत व्यक्ति द्वारा सजा दी जा सकती है।

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गरुड़ पुराण में बलात्कार की सजा

गरुड़ पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति किसी महिला के साथ यौन दुष्कर्म करता है, उसे क्रूर सांपों के बीच में छोड़ देना चाहिए या उसे जानवरों से कुचलवा देना चाहिए।

गरुड़ पुराण में बलात्कारियों के लिए दो तरह की सजा का प्रावधान हैं. पहली श्रेणी में ऐसे लोग शामिल है, जिन्होंने किसी महिला के साथ बलात्कार किया हो और दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल है, जिन्होंने जानवर के साथ बलात्कार किया है।

गरुड़ पुराण के 40वें अध्याय में कहा गया है कि, जो व्यक्ति गर्भाधान के वक्त जबरदस्ती स्त्रियों के साथ अपराध करता है, उसे कहीं भी शरण नहीं मिलती, वे नरक का भागी होता है।

ऐसे लोगों को दंड देने के लिए मल, मूत्र, रक्त, कफ, जहरीले कीडों और प्रदूषित कुएं में फेंक दिया जाता है, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।

किसी जानवर के साथ बलात्कार करने पर व्यक्ति को नुकीली वस्तुओं को गले लगाने के लिए मजबूर किया जाता है, ताकि वे वस्तुएं उसके शरीर के आर-पार हो जाएं।

आपस्तम्ब धर्मसूत्र में बलात्कार की सजा

आपस्तम्ब धर्मसूत्र के अनुसार अगर कोई पुरुष अनजानें में किसी महिला के कमरे में प्रवेश कर जाए तो उसे डांटना और चेतावनी देनी चाहिए।

आपस्तम्ब धर्मसूत्र (2.10.26 खण्ड) का 19वाँ उपसूत्र कहता है कि, यदि व्यक्ति जानबूझकर कमरे में आता है और गलत व्यवहार करता है तो उसे पीटा जाना चाहिए. दंड देने के साथ उस पर जुर्माना लगाना चाहिए. यदि वो लड़की के साथ दुष्कर्म करता है तो, उसका लिंग और अंडकोष काट देना चाहिए।

Leena Kumari

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