पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा तय करने का निर्णय
Important decision has been taken to fix the age limit of commercial vehicles on hilly routes.
अल्मोड़ा में हुई एक दर्दनाक बस दुर्घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा निर्धारित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह कदम राज्य सरकार द्वारा पहाड़ी इलाकों में परिवहन व्यवस्था को सुरक्षित बनाने की दिशा में उठाया गया है।
संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह के अनुसार, पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा तय करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजा है। इसमें सरकार ने आग्रह किया है कि उसे इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए विशेष अनुमति दी जाए, क्योंकि पहाड़ी मार्गों की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार को यह अधिकार मिलना चाहिए।
क्यों जरूरी है आयु-सीमा तय करना?
उत्तराखंड के पर्वतीय मार्गों पर खटारा और अत्यधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों का चलना एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। इन वाहनों की खराब हालत सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रही है, जैसा कि हाल ही में अल्मोड़ा में हुआ हादसा। इस तरह के वाहनों में तकनीकी खराबियां होने की वजह से न केवल सवारी सुरक्षा को खतरा होता है, बल्कि ये सड़क सुरक्षा मानकों का पालन भी नहीं कर पाते। राज्य सरकार के इस निर्णय से पहाड़ी इलाकों में परिवहन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। साथ ही, यह कदम पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगा, क्योंकि पुराने वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
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वर्तमान में, उत्तराखंड में लगभग 3 लाख व्यावसायिक वाहन पंजीकृत हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक वाहनों की आयु 15 साल से अधिक हो चुकी है। ऐसे वाहनों का पर्वतीय मार्गों पर संचालन न केवल सुरक्षा के लिहाज से खतरे का कारण है, बल्कि यह राज्य के परिवहन नेटवर्क पर भी भारी दबाव डालता है। राज्य सरकार का यह कदम समय की आवश्यकता बन चुका था, और यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह परिवहन व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।