ताज होटल के नाम पर साइबर ठगों ने GM से उड़ाए 3.2 करोड़ रुपये
A shocking case of fraud of Rs 3.2 crore has come to light.

ताज होटल के नाम पर साइबर ठगों ने GM से उड़ाए 3.2 करोड़ रुपये : देहरादून साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के बीच राजधानी में ताज समूह से जुड़े होटल के महाप्रबंधक से 3.2 करोड़ रुपये की ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ठग ने खुद को होटल की संचालक कंपनी “दर्रामेक्स होटल्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड” का प्रबंध निदेशक बताकर यह रकम ठगी। आरोपी ने व्हाट्सएप पर फर्जी पहचान और विश्वास दिलाने वाले तरीके से संपर्क किया और पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
यह मामला तब उजागर हुआ जब होटल के महाप्रबंधक (वित्त और लेखा) तेजपाल रावत ने साइबर थाना देहरादून में शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने बताया कि 4 मई को उन्हें एक नए मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप मैसेज प्राप्त हुआ, जिसमें खुद को अर्जुन मेहरा (जो वास्तव में कंपनी के एमडी हैं) बताया गया। संदेश में कहा गया कि यह उनका नया नंबर है और साथ में अर्जुन मेहरा की फोटो भी लगी हुई थी, जिससे शक की कोई गुंजाइश न बचे।
मैसेज के अगले ही दिन उसी नंबर से होटल के बैंक खातों की जानकारी मांगी गई और बताया गया कि कंपनी एक नई फर्म के साथ प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इसके लिए तुरंत 1.95 करोड़ रुपये का भुगतान “श्याम ट्रेडिंग कंपनी” के खाते में करने को कहा गया। आरोपी ने यह भी बताया कि वह मीटिंग में हैं, इसलिए कॉल पर बात नहीं कर सकते।
प्रभावित GM को लगा कि बात वाकई उनके एमडी की है और उन्होंने बिना ज्यादा जांच के कोलकाता स्थित इंडसइंड बैंक के खाते में रकम ट्रांसफर कर दी। इसके कुछ देर बाद दोबारा मैसेज आया और कहा गया कि एक अन्य प्रोजेक्ट के लिए दो करोड़ रुपये की अनुबंध सुरक्षा राशि जमा करानी होगी। इस पर GM ने कहा कि खाते में पूरी रकम नहीं है और सिर्फ 1.25 करोड़ रुपये ही ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने वही राशि भी ट्रांसफर कर दी।
कुल मिलाकर, साइबर ठग ने 3.2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जब ताज समूह के वास्तविक प्रबंध निदेशक अर्जुन मेहरा को लगी, तो उन्होंने साफ कर दिया कि उन्होंने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था। तब जाकर ठगी का पर्दाफाश हुआ। एसएसपी STF नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि इस गंभीर साइबर अपराध को देखते हुए 6 मई को मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही बैंक खातों की निगरानी, मोबाइल नंबर की लोकेशन ट्रेसिंग और ट्रांजैक्शन डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि साइबर ठग अब बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी निशाना बना रहे हैं। उच्च स्तर के अधिकारियों को भी अब बिना पुष्टि के किसी भी वित्तीय लेनदेन से पहले जांच-पड़ताल करना जरूरी हो गया है। इस मामले ने कॉरपोरेट सेक्टर में साइबर सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ दी है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बड़े होटल और संस्थान भी अब ऐसे हमलों के लिए तैयार हैं?