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केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों की एंट्री फिर शुरू, पहले पहुंचेगा राशन

The Char Dham Yatra of Uttarakhand is once again buzzing with devotees.

केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों की एंट्री फिर शुरू, पहले पहुंचेगा राशन : उत्तराखंड की चारधाम यात्रा एक बार फिर भक्तों से गुलजार है, लेकिन इस बार केदारनाथ यात्रा में स्वास्थ्य सुरक्षा के तहत कुछ सख्त कदम उठाए गए हैं। हाल ही में गौरीकुंड और सोनप्रयाग क्षेत्रों में इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस (Equine Influenza Virus) के कुछ मामले सामने आने के बाद सरकार ने एहतियातन 7 मई से दो दिन के लिए घोड़े-खच्चरों के संचालन पर रोक लगा दी थी। यह रोक यात्रियों और पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगाई गई थी।

अब इस रोक के बाद 9 मई से फिर से ट्रायल के तौर पर स्वस्थ घोषित किए गए घोड़े-खच्चरों का संचालन शुरू किया जा रहा है। इस संबंध में पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा स्वयं सोनप्रयाग पहुंचे और वहां की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पशु प्रबंधन और यात्रियों की सुविधाओं को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की और निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं घोड़े-खच्चरों को चलने की अनुमति दी जाएगी जो मेडिकल जांच में पूरी तरह से स्वस्थ पाए गए हैं।

कैबिनेट मंत्री ने जानकारी दी कि ट्रायल के पहले चरण में घोड़े-खच्चरों से किसी भी यात्री को नहीं, बल्कि राशन और अन्य जरूरी सामग्री को केदारनाथ धाम तक पहुंचाया जाएगा। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि पशुओं की सेहत के साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। इस दौरान पशु चिकित्सकों की एक टीम लगातार निगरानी में रहेगी और हर घोड़े-खच्चर की स्थिति पर नजर रखेगी।

उन्होंने बताया कि गौरीकुंड में पशुओं की स्कैनिंग, टीकाकरण और मेडिकल परीक्षण की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर सैनिटाइजेशन और सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। राज्य सरकार ने पशुपालकों को निर्देशित किया है कि वे बिना अनुमति के किसी भी बीमार या बिना प्रमाणपत्र वाले पशु को यात्रा मार्ग पर न लाएं।

केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि दुर्गम मार्ग और ऊंचाई के कारण कई श्रद्धालु इन्हीं के सहारे धाम तक पहुंचते हैं। ऐसे में पशुओं की सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य है। सरकार का यह कदम न केवल एक सजग स्वास्थ्य व्यवस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राज्य प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

इस वर्ष केदारनाथ यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है, इसलिए संक्रमण फैलने से रोकने के लिए यह ट्रायल संचालन अत्यंत जरूरी और समयानुकूल कदम है। यदि यह ट्रायल सफल रहता है, तो जल्द ही यात्रियों को भी इन पशुओं के माध्यम से धाम तक पहुंचने की सुविधा मिलने लगेगी।

Leena Kumari

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