केदारनाथ उपचुनाव में बदरीनाथ जैसी सफलता की उम्मीद
The upcoming by-election to the Kedarnath assembly seat can prove to be a turning point in the politics of the state.
उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव, प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। कांग्रेस पार्टी ने इस उपचुनाव को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, क्योंकि यह केवल पार्टी की प्रतिष्ठा का सवाल नहीं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं में पार्टी की पैठ और भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती देने का भी एक अवसर है। पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव को लेकर पूरी रणनीति तैयार की है और इस बार उसकी नजरें बदरीनाथ विधानसभा जैसे प्रदर्शन को दोहराने पर हैं, जहां पार्टी ने सफलता प्राप्त की थी।
केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। पार्टी के बड़े नेता, जिनमें गढ़वाल और कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के नेता शामिल हैं, चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। इन नेताओं ने छोटी-छोटी सभाओं के साथ जनता से संपर्क साधा है। इस चुनाव में कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं में अपनी पैठ मजबूत करना है, ताकि भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती दी जा सके और प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की उपस्थिति फिर से मजबूत हो सके।
केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गहरा लगाव हमेशा चर्चा का विषय रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की इस सीट से नजदीकी और भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के किले में सेंध लगाने का अवसर नहीं मिल पाया। इसके बावजूद, जुलाई माह में हुए दो विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस ने सफलता प्राप्त की, जिससे पार्टी का मनोबल बढ़ा है।
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कांग्रेस के लिए केदारनाथ उपचुनाव केवल एक सीट पर जीत हासिल करने का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रदेश की राजनीति में उसकी भविष्यवाणी को आकार देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। पार्टी के लिए यह साबित करना भी जरूरी है कि वह पर्वतीय क्षेत्रों में भाजपा की स्थिर स्थिति को चुनौती दे सकती है। बदरीनाथ में मिली सफलता को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अब केदारनाथ उपचुनाव में भी अपनी जीत का प्रयास करेगी।
कांग्रेस हाईकमान ने इस उपचुनाव को लेकर सभी नेताओं को एकजुटता से चुनाव लड़ने की हिदायत दी है। पार्टी की रणनीति इस चुनाव में पूरी ताकत के साथ भाग लेने की है, ताकि केदारनाथ विधानसभा सीट पर जीत हासिल की जा सके। कांग्रेस का लक्ष्य केवल इस सीट पर जीत हासिल करना नहीं, बल्कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं में अपने समर्थकों की संख्या को बढ़ाना है, ताकि भविष्य में वह भाजपा को चुनौती दे सके।