World AIDS Day : ज्ञान से जागरूकता, जागरूकता से सुरक्षा – एड्स दिवस का संकल्प
Today medical science has advanced so much that infected people can live a normal life through medicines.
World AIDS Day : ज्ञान से जागरूकता, जागरूकता से सुरक्षा – एड्स दिवस का संकल्प :- विश्व एड्स दिवस केवल एक वैश्विक स्वास्थ्य दिवस नहीं, बल्कि मानवता के प्रति जिम्मेदारी और समाज के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है। एचआईवी/एड्स जैसी चुनौतीपूर्ण बीमारी के प्रति जागरूकता और रोकथाम के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति, स्वास्थ्य विभाग, उत्तराखण्ड सरकार ने राजधानी देहरादून में भव्य राज्य स्तरीय जागरूकता रैली का आयोजन किया।
इस रैली के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि एचआईवी से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है सही जानकारी और समय पर जांच।
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इस वर्ष विश्व एड्स दिवस के लिए नाको, भारत सरकार ने “Overcoming Disruption, Transforming the AIDS Response” की थीम दी, जो पिछले वर्षों की चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए एड्स नियंत्रण प्रयासों को और सुदृढ़ करने पर केंद्रित है। इसी थीम के संदेश को समाज तक प्रभावी रूप से पहुंचाने के लिए गांधी पार्क, देहरादून से विशाल जागरूकता रैली का शुभारंभ हुआ। अपर परियोजना निदेशक डॉ. अमित शुक्ला, उप निदेशक (वित्त) महेंद्र कुमार, इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी एवं यूथ रेडक्रॉस समिति से डाॅ. अनिल वर्मा, तथा संयु (IEC अनिल सती ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया।
रैली गांधी पार्क से प्रारंभ होकर घंटाघर, दर्शनलाल चैक, दून चैक, बुद्धा चैक, परेड ग्राउंड से गुजरते हुए पुनः गांधी पार्क में सम्पन्न हुई। मार्गभर छात्रों, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवियों और नागरिकों ने एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने वाले नारे, पोस्टर और बैनर के माध्यम से जनसंदेश दिया। लोगों को सुरक्षित व्यवहार, संक्रमण के कारणों और उपलब्ध उपचार के बारे में जानकारी देते हुए प्रतिभागियों ने समाज को वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराया।
रैली के समापन अवसर पर अपर परियोजना निदेशक डॉ. अमित शुक्ला ने कहा कि उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति का मुख्य लक्ष्य है एचआईवी/एड्स से संबंधित सभी सेवाएं प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा प्रदेशभर में एआरटी सेंटर, आईसीटीसी, जागरूकता कार्यक्रम, निःशुल्क परीक्षण और उपचार की सुविधाएं संचालित हैं, जिनका लाभ हजारों लोग नियमित रूप से ले रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एचआईवी/एड्स से जुड़े मिथकों को तोड़ना, लोगों को वैज्ञानिक जानकारी देना और संक्रमित व्यक्तियों के सामाजिक अलगाव को रोकना आज की आवश्यकता है। डॉ. शुक्ला ने कहा कि “एचआईवी होने का अर्थ जीवन का अंत नहीं है।
आज चिकित्सा विज्ञान इतने आगे आ चुका है कि संक्रमित व्यक्ति दवाओं के माध्यम से सामान्य जीवन जी सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है समय से जांच और उपचार का पालन।” उन्होंने युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से युवाओं तक सही जानकारी पहुंचना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वही बदलाव के सबसे बड़े वाहक हैं।
रैली के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि एचआईवी/एड्स केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का विषय है। समाज के सभी वर्गों सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं, युवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और मीडिया को मिलकर एक संवेदनशील, जागरूक और सहयोगी वातावरण बनाना होगा।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जागरूकता रैली तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह प्रदेश में चल रहे व्यापक एड्स नियंत्रण अभियानों को सशक्त करने का भी प्रयास था। आगामी महीनों में भी उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा विभिन्न जिलों में जागरूकता कार्यक्रम, सामुदायिक संवाद, स्वास्थ्य शिविर और परामर्श गतिविधियों का आयोजन जारी रहेगा।



