हल्द्वानी में वायु प्रदूषण, घातक होती जा रही देवभूमि की हवा
It is facing a serious problem of air pollution.
हल्द्वानी, जो कुमाऊं क्षेत्र का प्रमुख शहर और पर्वतीय इलाके का प्रवेशद्वार है, इन दिनों वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। हर महीने यहाँ PM-10 (पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर 110 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक दर्ज किया जा रहा है। इस प्रदूषण के कारण अस्थमा, फेफड़े संबंधी रोग, हृदय रोग और बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
हालांकि, हल्द्वानी की स्थिति फिलहाल दिल्ली जैसे बड़े शहरों जितनी नाजुक नहीं है, लेकिन प्रदूषण का बढ़ता स्तर निश्चित रूप से चिंता का विषय बन चुका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार, जब PM-10 का स्तर 101 से 200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के बीच होता है, तो यह अस्थमा, फेफड़े और हृदय संबंधी रोगों के साथ-साथ बुजुर्गों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।
इसका प्रमुख कारण हल्द्वानी की बढ़ती जनसंख्या और वाहनों की बढ़ती संख्या है। कुमाऊं क्षेत्र का यह प्रमुख शहर न केवल आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र है, बल्कि पर्वतीय इलाकों के लोग भी बेहतर नौकरी और मूलभूत सुविधाओं के लिए हल्द्वानी आ रहे हैं। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रदूषण की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है।
प्रमुख कारण और चिंताएँ
1. वाहनों की बढ़ती संख्या : हल्द्वानी में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुंआ, PM-10 के स्तर को बढ़ाता है। नगर निगम क्षेत्र की आबादी साढ़े चार लाख के करीब पहुँच चुकी है, और इसके साथ-साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ी है।
2. निर्माण कार्य और अव्यवस्थित शहरीकरण : हल्द्वानी में कई जगहों पर अव्यवस्थित शहरीकरण और निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे धूल और मलबा हवा में फैलते हैं, जो वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनते हैं।
3. औद्योगिकीकरण : हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण बढ़ रहा है, जिसके कारण वायुमंडल में जहरीली गैसें और धुएं का स्तर बढ़ता जा रहा है।
4. वृक्षों की कमी : हल्द्वानी में वृक्षों की संख्या में कमी आने के कारण भी प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है। पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं, लेकिन उनकी कमी से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
हल्द्वानी में बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पीएम-10 के स्तर का लगातार बढ़ना अस्थमा, श्वसन और हृदय रोगों को जन्म दे सकता है। इसके अलावा, बुजुर्गों और बच्चों को खास तौर पर इस प्रदूषण का खतरा होता है, क्योंकि उनका शारीरिक सिस्टम प्रदूषण के प्रभाव को सही तरीके से नहीं झेल पाता।
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एहतियाती उपाय
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हल्द्वानी में वाहनों की संख्या को नियंत्रित करना जरूरी है। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना एक कारगर उपाय हो सकता है। हल्द्वानी में अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ग्रीन बेल्ट विकसित करने से प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और मलबे को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है। पानी का छिड़काव करके धूल को कम किया जा सकता है। लोगों को प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक करना और उन्हें मास्क पहनने, हवा में बाहर जाने से बचने और वायु गुणवत्ता सूचकांक पर नजर रखने की सलाह देना जरूरी है।