देश का पहला 3डी कंक्रीट प्रिंटेड आवास
Dr. Pemmasani Chandra Shekhar said while addressing the scientists, researchers and stakeholders.

देश का पहला 3डी कंक्रीट प्रिंटेड आवास :- ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चन्द्र शेखर ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर–सीबीआरआई), रुड़की में देश का पहला 3डी कंक्रीट प्रिंटेड ग्रामीण आवास का उद्धघाटन किया। यह ऐतिहासिक नवाचार भारत की ग्रामीण आवास यात्रा का एक निर्णायक क्षण है, जो पारंपरिक ज्ञान को आधुनिकतम तकनीक से जोड़ता है।
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वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और हितधारकों को संबोधित करते हुए डॉ. पेम्मासानी चन्द्र शेखर ने कहा, “कच्ची दीवारों से 3डी प्रिंटिंग तक, भारत ने सभी के लिए सुरक्षित, मजबूत और टिकाऊ घर उपलब्ध कराने की अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। ये 3डी प्रिंटेड घर केवल तकनीक नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे भविष्य का प्रतीक हैं, जहाँ आवास सस्ता, अनुकूलनशील और पर्यावरण-अनुकूल होगा।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण (पीएमएवाई–जी) की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए डॉ. शेखर ने बताया कि योजना के अंतर्गत अब तक 3.85 करोड़ मकान स्वीकृत हुए हैं और 2.87 करोड़ पूरे हो चुके हैं।
स्वतंत्र आकलनों से यह भी सामने आया है कि ग्रामीण परिवारों की आय में 17% की वृद्धि हुई है, अस्पताल जाने के मामलों में 14% की कमी आई है और 72% घर महिलाओं के नाम पर हैं, जिससे महिला सशक्तिकरण और पारिवारिक कल्याण को मजबूती मिली है।
सीबीआरआई के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान ने 250 क्षेत्र-विशिष्ट आपदा-रोधी आवासीय डिज़ाइन तैयार किए हैं। इसके अतिरिक्त, गैर-क्षरणशील मिट्टी का पलस्तर, कम लागत वाली मजबूती तकनीकें और दो-गड्ढा शौचालय प्रणाली जैसे नवाचारों ने पाँच करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गरिमापूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाया है।
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ पेम्मासानी ने “रुद्राक्ष – उत्तराखंड में ग्रामीण आवास” नामक पुस्तक का विमोचन भी किया, जिसमें उत्तराखंड राज्य की सांस्कृतिक रूप से जुड़ी, टिकाऊ और जलवायु-संवेदनशील आवासीय परंपराओं का संकलन है।
भविष्य की दिशा पर बल देते हुए डॉ. शेखर ने सीबीआरआई से आग्रह किया कि वह 100 किफायती 3डी प्रिंटेड घरों का पायलट प्रोजेक्ट संचालित करें, जिससे ग्रामीण भारत के लिए इस तकनीक की व्यवहार्यता सिद्ध हो सके। उन्होंने संस्थान को तापीय आराम, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, जलवायु-रोधी डिज़ाइन और मिस्त्री प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने को कहा ताकि वैज्ञानिक नवाचार सीधे ग्रामीण परिवारों को लाभान्वित कर सकें।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा – “विकास केवल मकान बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे घर बनाने के बारे में है जो रोशनी, गरिमा और आत्मनिर्भरता से भरे हों।
सीबीआरआई की वैज्ञानिक उत्कृष्टता को विकसित भारत 2047 की दृष्टि से जोड़ते हुए हम एक मजबूत, स्वस्थ और टिकाऊ ग्रामीण भारत की नींव रख रहे हैं।”उद्धघाटन समारोह में सीएसआईआर–सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईआईटी रुड़की के संकाय सदस्य, ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।