उज्जैन

महाकाल की भस्म आरती के समय महिलाएं घूंघट क्यों डाल लेती हैं? जानें इसके पीछे की मान्यता

According to religious beliefs, the main reason behind the practice of women wearing veil during Bhasma Aarti is the formless form of Lord Shiva.

महाकाल की भस्म आरती के समय महिलाएं घूंघट क्यों डाल लेती हैं? जानें इसके पीछे की मान्यता :-  महाकाल की नगरी उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती का महत्व अद्वितीय है. यह आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है जो भगवान शिव के निराकार स्वरूप को दर्शाती है. इस आरती के दौरान, एक विशेष प्रथा का पालन किया जाता है, जिसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यताएं और सदियों पुरानी परंपराएं छिपी हैं।

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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना सुबह की भस्म आरती एक अद्भुत और अद्वितीय परंपरा है, जिसे देखने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. इस आरती की खासियत यह है कि इसमें भगवान महाकाल को चंदन, फूल या आभूषणों से नहीं, बल्कि भस्म से श्रृंगारित किया जाता है. इस आरती के समय पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हो सकते हैं, लेकिन आपने अक्सर देखा होगा कि महिलाएं इस समय घूंघट डालकर ही दर्शन करती हैं. आखिर इसकी वजह क्या है?

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भस्म आरती का महत्व

भस्म आरती भगवान शिव की सबसे प्रिय आरती मानी जाती है. इसमें श्मशान की भस्म से महाकाल का श्रृंगार किया जाता है. यह भस्म सृष्टि की नश्वरता का प्रतीक है और यह दर्शाती है कि जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु ही है, जिसके बाद सब कुछ भस्म हो जाता है. इस आरती के दर्शन के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु उज्जैन आते हैं।

महिलाओं के घूंघट डालने का कारण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भस्म आरती के समय महिलाओं द्वारा घूंघट डालने की प्रथा के पीछे मुख्य कारण भगवान शिव का निराकार स्वरूप है।

निराकार स्वरूप का सम्मान: यह माना जाता है कि भस्म आरती के समय भगवान शिव अपने निराकार स्वरूप में होते हैं, जिसे उनका औघड़ स्वरूप भी कहा जाता है. इस स्वरूप को प्रत्यक्ष रूप से देखना महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है. यह प्रथा शिव के प्रति आदर और उनके इस शक्तिशाली स्वरूप का सम्मान करने के लिए निभाई जाती है।

सृष्टि के सार का दर्शन: भस्म श्रृंगार भगवान शिव के वैरागी स्वरूप का प्रतीक है. यह श्रृंगार इस बात का भी प्रतीक है कि भगवान शिव सृष्टि के सृजन और विनाश दोनों के मूल में हैं. भस्म आरती के दौरान महिलाएं अपनी आंखें बंद करके या घूंघट डालकर भगवान के इस रूप का सम्मान करती हैं।

आध्यात्मिक अनुशासन: यह प्रथा केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन भी है. यह भक्तों को यह सिखाती है कि भगवान के दर्शन केवल भौतिक आंखों से नहीं, बल्कि श्रद्धा और भाव से किए जाते हैं. घूंघट डालना इस बात का प्रतीक है कि महिलाएं अपने अंतर्मन से भगवान के दर्शन कर रही हैं।

परंपरा और आस्था का संगम

महाकाल की भस्म आरती में घूंघट डालने की यह प्रथा केवल एक नियम नहीं, बल्कि आस्था का एक गहरा प्रतीक है. यह हमें सिखाती है कि कुछ धार्मिक अनुष्ठानों में, परंपरा का पालन करना भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है. यह प्रथा आज भी लाखों भक्तों द्वारा बिना किसी सवाल के निभाई जाती है, जो उनकी अटूट आस्था और समर्पण को दर्शाती है।

Leena Kumari

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