उत्तराखंड
Trending

गंगा किनारे पहली बार मनाया गया ‘गंगा उत्सव’

The "Ganga Utsav" was organized with great fanfare at Chandi Ghat in Haridwar.

भारत की पवित्र न दियों में प्रमुख स्थान रखने वाली गंगा नदी के संरक्षण और स्वच्छता के लिए पहली बार “गंगा उत्सव” का आयोजन हरिद्वार के चंडी घाट पर बड़े धूमधाम से किया गया। इस आयोजन के माध्यम से गंगा नदी की महिमा और उसके महत्व को उजागर करने का प्रयास किया गया। गंगा के किनारे इस भव्य उत्सव का आयोजन ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य न केवल गंगा के संरक्षण की दिशा में जागरूकता फैलाना है, बल्कि नदियों के महत्व को जीवन के आधार के रूप में स्थापित करना है।

महानिदेशक नमामि गंगे, राजीव मित्तल ने इस उत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा, “यह उत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक अभियान है। इस अभियान के माध्यम से हम नदियों के महत्व को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। नदियां सिर्फ जल का स्रोत नहीं हैं, बल्कि यह जीवन का आधार हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि इस उत्सव को पांच अन्य राज्यों में भी मनाया जा रहा है, जिसमें नदियों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

राजीव मित्तल ने यह भी कहा कि गंगा उत्सव का उद्देश्य नदियों को फिर से उनके पारंपरिक रूप में संरक्षित करना और समाज के हर वर्ग को इस दिशा में एकजुट करना है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले गंगा उत्सव का आयोजन दिल्ली में होता था, लेकिन इस बार इसे गंगा नदी के किनारे हरिद्वार में मनाया गया, जिससे यह उत्सव और भी खास बन गया।

इस उत्सव के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी कार्यक्रम था, लेकिन अल्मोड़ा में हुए एक दर्दनाक हादसे के कारण उन्होंने अपने कार्यक्रम को स्थगित कर दिया। सीएम धामी ने इस घटना में घायल हुए किशोरों का हालचाल लेने के लिए देहरादून से सीधे अल्मोड़ा का रुख किया। सीएम ने अपने संबोधन में केवल हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसके बाद अतिथियों का स्वागत कर अपने संबोधन को समाप्त किया। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम स्थगित होने के बावजूद प्रशासन ने आयोजन को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां पूरी की थीं, और उत्सव को सफल बनाने में कोई कमी नहीं रखी गई थी।

ये भी पढ़े: Sana Sultan ने मदीना में किया निकाह, शेयर की खूबसूरत तस्वीरें

‘गंगा उत्सव’ न केवल गंगा नदी की पवित्रता और उसकी अविरलता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था, बल्कि यह एक संदेश भी था कि नदियों को फिर से साफ और जीवित बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। इस उत्सव में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में गंगा के इतिहास, उसकी सांस्कृतिक महत्व, और उसकी रक्षा के उपायों पर चर्चा की गई। इसके माध्यम से जनता को यह संदेश दिया गया कि गंगा नदी की सफाई और उसका संरक्षण केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का जिम्मा है।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button