देहरादून
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विरासत महोत्सव में शिंजिनी कुलकर्णी की अद्भुत प्रस्तुति

Birju Maharaj's grand daughter Shinjini Kulkarni enthralled the audience with her dance performance.

विरासत महोत्सव की शाम उस समय और भी खूबसूरत हो गई जब कथक उस्ताद पंडित बिरजू महाराज की पोती शिंजिनी कुलकर्णी ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके शास्त्रीय नृत्य ने न केवल समा बांधा, बल्कि दर्शकों के दिलों में भारतीय कला और संस्कृति के प्रति गहरी सराहना जगाई।

शास्त्रीय संगीत और नृत्य सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि एक तहजीब है। इन्हें सुनना और समझना व्यक्ति को एक शालीनता से भर देता है। शिंजिनी कुलकर्णी ने इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि कैसे सोशल मीडिया के माध्यम से लोग न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी शास्त्रीय संगीत और नृत्य से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग हिंदी भी नहीं समझते, वे भी शास्त्रीय संगीत को बड़े अच्छे तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं।”

शिंजिनी कुलकर्णी ने मात्र पांच वर्ष की आयु में कथक का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। उनका परिवार इस क्षेत्र में गहराई से जुड़ा हुआ था, जिससे उन्हें शुरुआती प्रशिक्षण में मदद मिली। शिंजिनी ने आठ साल की उम्र में अपनी पहली मंच प्रस्तुति दी, जो इतनी सुंदर थी कि उसने उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।

शिंजिनी ने बताया कि देहरादून उनके लिए एक खास स्थान रखता है। यहां आकर उन्हें प्रेरणा मिली है और उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “आने वाले समय में वे सभी जिन्होंने कुछ नया प्रयोग किया है, उनका नाम इतिहास में लिखा जाएगा।”

 

 

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